ऐ मेरे वतन के लोगों..तुम खूब लगा लो नारा ये शुभ दिन है हम सब का, लहरा लो तिरंगा प्यारा
-- Devesh Kumar
Monday, January 17, 2022
26 जनवरी - भारत गणराज्य का गणतंत्र दिवस !!!!
इस 26 जनवरी को हम 73वां गणतंत्र दिवस का स्वागत करेंगे |
क्यों मनाया जाता हैं गणतंत्र दिवस खास 26 जनवरी को ही ? क्या महत्व हैं इस दिन का और अन्य सवाल जो हमें एक भारतीय होने के नाते जानने चाहिए |
26 जनवरी 1950 को हमारे देश का संविधान जिसे बनाने में पूरे 2 साल 11 महीने और 18 दिन लगे थे लागू किया गया था और हमारे देश भारत उस दिन गणतंत्र घोषित किया गया था |
वैसे तो हमें आज़ादी 15 अगस्त 1947 को ही मिल गयी थी पर इस आज़ादी को पूर्ण रूप मिला अपना संविधान अपना कर जो हमने 26 जनवरी 1950 को किया |
यह आज़ादी हमें मिली देश के लिए सर कलम करवा सकने वाले देशप्रेमियों के अप्रीतम बलिदानो से , उन बलिदानो के फलस्वरूप ही अंग्रेज़ो ने भारत को आज़ाद किया | यह आज़ादी हमें लाखो देशवासियो के सर्वोच्च बलिदान से मिली हैं ,उनके बलिदान को जितना भी नमन किया जाए कम ही होगा |
गणतंत्र दिवस हमें प्रेरणा देता हैं की जिस आज़ादी की खुली हवा में हम सांस ले रहे हैं वह “बलिदानी रक्त” से आहुति देने पर मिली हैं ,तो देश के मान सम्मान और रक्षा के लिए हर देशवासी को न केवल हमारे महान पुरुषो के प्रति ऋणी होना चाहिए ,बल्कि हमेशा इस कीमती धरोहर को संजोए रखने की लिए हर कीमत तैयार रहना चाहिए|
क्या हुआ था :- दिसंबर 1929 को लाहौर में कांग्रेस अधिवेशन में यह प्रस्ताव पारित हुआ की ब्रिटिश सरकार 26 जनवरी 1930 तक भारत को डोमिनियन दर्जा नहीं देती तो उस दिन भारत की पूर्ण स्वतंत्रता के निश्चय की घोषणा हुई उस दिन और 1947 में स्वतंत्रता प्राप्ति तक 26 जनवरी स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता रहा |
स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात 15 अगस्त जो की वास्तविक स्वतंत्रता दिवस था भारत के स्वतंत्रता दिवस के रूप में स्वीकार किया गया |
देश के स्वतंत्र होने के बाद संविधान सभा बनाई गयी ,संविधान सभा के सदस्यों का चुनाव सभी राज्यों के चुने हुए सदस्यों ने की थी, संविधान सभा में 22 समितियॉं थी और प्रारूप समिति सबसे प्रमुख समिति थी जिसके अध्यक्ष डॉ भीमराव आंबेडकर थे |
प्रारूप समिति विशेषकर डॉ आंबेडकर ने पूरे 2 साल,11 महीने और 18 दिन में संविधान का निर्माण किया और इस संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ राजेंद्र प्रसाद को सुपुर्द किया ,वह दिन था 1949 ,26 नवम्बर जिसे हम संविधान दिवस के रूप में मानते हैं |
संविधान सभा ने कुल 114 दिनों तक अंतिम रूप देने के लिए बैठक की और अंततः 284 सदस्यों ने 24 जनवरी 1950 को संविधान की दो हस्तलिखित प्रति पर आखिरी हस्ताक्षर किये |
इसके दो दिन बाद यानी 26 जनवरी 1950 को यह संविधान पूरे देश में लागु हो गया , 26 जनवरी की इसी महत्ता को संजोए रखने के लिए संविधान में भारत को एक गणराज्य की मान्यता दी गयी और भारत में 26 जनवरी 1950 से स्वयं की कानून व्यवस्था जिसे हम संविधान के तहत शासन व्यवस्था कहते हैं लागू हुई |
भारतीय संविधान की अत्यंत रोचक जानकारी :-
अपने दोनों हाथों से दोनों कलमों के द्वारा लिखने वाले . डॉ. राजेन्द्र प्रसाद भारतीय संविधान सभा के अध्यक्ष थे। महाराष्ट्र प्रदेश के मूलवासी, वैरिस्टर डा. भीमराव अम्बेडकर भारतीय संविधान प्रारूप कमैंटी के अध्यक्ष थे। भारतीय संविधान का ड्राफ्ट तैयार करवाने की जिम्मेदारी नेहरू जी ने डॉ.वी.एन. राय को सौंपी थी। डॉ.वी.एन. राय ने भारतीय संविधान की प्रस्तावना, अमेरिकन संविधान की प्रस्तावना की तर्ज पर ड्राफ्ट की थी। जैसे- अमेरिकन संविधान की प्रस्तावना में “हम अमेरिका के लोग“ है, वैसे ही डॉ. राय ने भारतीय संविधान की प्रस्तावना में “हम भारत के नागरिक“ के स्थान पर “हम भारत के लोग“ दर्ज किया। इस कार्य के लिए डॉ. वी.एन राय को रूपया 25000 मानदेय दिया गया था।
अपने संविधान के बारे में एक रोचक बात यह भी हैं की विश्व का सबसे बड़ा हस्तलिखित संविधान, हमारा भारतीय संविधान ही है।
उत्तरप्रदेश के मूलवासी कैलीग्राफिस्ट श्री प्रेमबिहारी नारायण रायजादा भारतीय संविधान के लेखक थे। श्री रामप्रसाद रायज़ादा भारतवर्ष की पूर्वप्रचलित आदिकालीन आदिपरम्परागत अपनी ”कैथी” यानि कैथिली या कायस्थी या न्यायालयी भाषा व अपनी कैलीग्राफी जिसे इटेलियन शैली में अपनाया गया हैं में लिखा |
भारतीय संविधान को लिखने की जिम्मेदारी जवाहरलाल नेहरू ने श्री प्रेमबिहारी नारायण रायज़ादा को सौंपी थी। जवाहरलाल नेहरू ने श्री प्रेमबिहारी नारायण रायजादा से पूछा था कि भारतीय संविधान को लिखने के एबज में वो क्या मानदेय लेना चाहेंगे , श्री रायजादा ने कहा कि भारतीय संविधान को लिखने के एबज में धन नहीं ,बल्कि वह चाहते थे की संविधान के प्रत्येक पन्ने पर उनका नाम और अंतिम पन्ने पर उनका और उनके दादाजी का नाम लिखा हो , उनकी यह गुजारिश नेहरू जी ने मान ली।
भारतीय संविधान को लिखने के लिए हस्तनिर्मित कागज पूना से मंगवाया गया था।
श्री रायजादा ने भारतीय संविधान को हिंदी एवं अग्रेंजी भाषा में लिखने में 303 निब होल्डर कलम और 254 स्याही दवात का इस्तेमाल किया और लेखनकार्य 6 माह में पूरा किया।
संविधान की ‘मूलप्रति’ के प्रत्येक पेज पर इनके कॉपीराइट के तहत उनका नाम तथा अंतिम पेज पर उनके नाम के साथ उनके दादाजी का नाम मौजूद हैं।
भारतीय संविधान के प्रत्येक पेज को शांति निकेतन कलकत्ता के प्रसिद्ध विद्वानों ने अपने प्रमुख श्री नंदलाल बोस के साथ मिलकर सर्वोच्च गुणवत्ता वाली स्वर्ण कला से सजाया है।
भारतीय संविधान के प्रस्तावना पेज को श्री नंदलाल बोस के शिष्य आचार्य श्री राममनोहर सिन्हा ने सजाया है।
इस भारतीय संविधान में 251 पेज हैं
संविधान की लम्बाई 22 इंच व चौड़ाई 16 इंच हैं।
भारतीय संविधान की मूलप्रति का वजन 3.75 कि.ग्रा. है।
हस्तलिखित भारतीय संविधान की मूलप्रति को भारतीय संसद भवन दिल्ली की लाईब्रेरी में रखी मेज पर हीलियम गैस से भरे केस में सुरक्षित रखा गया था जो वर्तमान में नाइट्रोजन गैस से भरे केस में अत्याधुनिक तकनीक के साथ सुरक्षित है।
ज़रा याद करो क़ुरबानी तुम भूल न जाओ उनको इस लिये कही ये कहानी
साभार :- स्वयं की जानकारी एवं विभिन्न इंटरनेट सामग्री पर आधारित
देवेश कुमार
निवासी प्रबंधक-भारतीय जीवन बीमा निगम [अंतराष्ट्रीय] – कुवैत
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