अनन्त का अचानक अनन्त विलीन होना

Devesh Kumar
Monday, November 15, 2021

“अनन्त कपाड़िया” - संगीत और संस्कृति की दुनिया अद्भुत चितेरा , व्यवहार कुशल ,मिलनसार व्यक्तित्व की बेमिसाल मिसाल .



जैसा उनके बारे उनसे और दूसरो से सुना ,खुद अनुभव किया उसी आधार पर कुछ अभिव्यक्ति !!!

अनन्त जी ने जीवन के लगभग 42 वर्ष कुवैत को दिए , ओस्मानिया यूनिवर्सिटी- हैदराबाद से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक अनन्त ने कुवैत में नौकरी से शुरुआत की और कालांतर एक सफल उद्यमी के रूप में खुद को स्थापित किया.

शुरूआती दौर में जब कुवैत में हर चीज के लिए जद्दोजहद करनी पड़ती थी तब से लेकर सुख और ऐश्वर्या तक का उनका सफर उनके ही लफ्जो में काफी उतार चढाव परन्तु सुकून भरा था.

मैकेनिकल इंजीनियरिंग जैसे शुष्क विषय से ताल्लुक रखने वाले अनन्त जी संगीत जैसे रमणीक क्षेत्र में भी अद्भुत रूप से पारंगत थे , संगीत में कॉलेज समय से ही खासी रूचि रखने वाले अनन्त जी मधुर आवाज के मालिक भी थे ,जैसा उनके पुराने साथियो और हम सभी ने जिन्होंने भी उन्हें सुना हैं उनकी मुकेश जैसी आवाज के कायल हुए बिना कभी नहीं रहे .



कुवैत में भारतीय उपनिवेश की आबादी को गीत संगीत से जुड़े दिग्गजों से रूबरू करवाने का अगर कोई व्यक्ति सही मायने में हकदार था तो वह अनन्त जी थे .
70 के दशक में जब म्यूजिकल कॉन्सर्ट के नाम पर कुछ चुनिंदा रईस शख़्सियतो द्वारा कुछ बहुत ही निजी कार्यक्रम होते थे जो की आम जान के लिए स्वप्न समान थे ,तब अनन्त जी ने सन-1983 में विश्व प्रसिद्ध भारतीय गायिका लता मंगेशकर जी का भव्य संगीत कार्यक्रम कुवैत में करवाया .


उस जमाने में लगभग 4000 से अधिक टिकट 15 से 50 दीनार में हाथो हाथ बिक गयी थी , कुवैत के विभिन्न आयोजक इस बेजोड़ सफल कार्यक्रम से हतप्रभ रह गए थे क्योंकि किसी ने इतनी जबरदस्त सफलता की कल्पना भी नहीं की थी ,इसके बाद तो अनन्त जी का नाम इसी तरह के भव्य कार्यक्रमों की सफलता का पर्यायवाची बन गया था .


आज के नए भारतीय प्रवासी शायद विश्वास न कर पाएं कि भारतीय संगीत और भारतीय सिनेमा से जुड़ी ख्याति प्राप्त इन नामचीन हस्तियों - लता मंगेशकर,आशा भोंसले, आर-डी. बर्मन,किशोर दा, पंडित रविशंकर,पंडित हरिप्रसाद चौरसिआ,पंडित भीमसेन जोशी,पंडित शिव कुमार शर्मा , पंडित विश्वमोहन भट्ट ,मुकेश,ऋषि कपूर, महेंद्र कपूर, जगजीत सिंह,पंकज उधास ,उस्ताद अमजद अली खान,उस्ताद अल्लाह रक्खा ,उस्ताद ज़ाकिर हुसैन ,उस्ताद रशीद खान,डॉ एल सुब्रमण्यम ,हेमामालिनी,सुरेश वाडेकर,आनंद शंकर,अनूप जलोटा और न जाने कितने ही विशारद नाम कुवैत की जमीं पर अनन्त जी के प्रयासों से लोगो का मनोरंजन करने आ पाएं .

अनंत जी ने न केवल कुवैत में बल्कि खाड़ी क्षेत्र के अन्य देशो में भी भव्य आयोजन करवाए , यह उनकी क्षमता और उनके नाम कि विश्वश्नीयता थी कि सभी बड़े नाम उनके साथ जुड़ कर खुद काम करना चाहते थे .




उन्होंने भारतीय संगीत कि मधुरता को केवल भारतीय उपनिवेश के लोगो के बीच में ही नहीं बल्कि अन्य देशो के कुवैत प्रतिनिधियों के बीच भी खासा लोकप्रिय किया . जर्मनी ,जापान ,रूस अमेरिका,बांग्लादेश,पाकिस्तान आदि के राजदूत उनके निमत्रण पर हमेशा उनके आयोजित कार्यक्रम में शिरकत करते थे .
अनन्त जी IBPC के सदस्य और कालांतर उसके अध्यक्ष के रूप में IBPC को कुवैत और भारत के बीच सांस्कृतिक और व्यावसायिक सम्बन्धो की मजबूत कड़ी बनाने में बड़ी भूमिका निभाई .
व्यापार और उद्योग से जुड़े नामचीन लोग यथा - आर सी भार्गव [मारुती] राजेंद्र पवार [NIIT ] ,डॉ -बी वी आर रेड्डी, आदि गोदरेज, सुहेल सेठ,पवन वर्मा,युसूफ अली ,शशि थरूर,डॉ संजय बारू,श्रीनाथ रेड्डी,नीलेश शाह के कुवैत आगमन / आभाषी उपस्थिति ने कुवैत के प्रवासी जन को भारतीय उद्योग जगत और भारतीय आर्थिक क्षमता के बारे में सुनने समझने का अवसर और आयाम मिला .
लॉकडाउन के दरमियान देखा हैं आपको किस तरह खुद आगे बढ़ कर सेवा की आपने जरुरतमंदो की और हम सबको को भी भागीदार बनाया पुण्यकार्य में.

अनन्त अपने नाम के यकीनी हक़दार थे ,उनकी सीमायें ही अनन्त थी ,जो उनसे एक बार मिला उनका ही हो गया .
वैसी व्यवहार कुशलता बिरले ही मिलती हैं .
अनन्त आप भारत-कुवैत सांस्कृतिक सम्बन्धो के निर्विवाद और सर्वोच्च दूत थे .
आपके प्रयासों से मनोरंजन और व्यापार-वाणिज्य के पटल पर जो भी लिखा गया वह हमेशा कुवैत के प्रवासी भारतीय याद रखेंगे .
भारतीय संस्कृति और संगीत की दुनिया में आपके अविस्मरणीय-अतुलनीय योगदान और विरासत का परचम हमेशा लहराता रहेगा .

व्यक्तिगत रूप में आप से मिला स्नेह और उत्साह कभी भूल न सकूंगा |.
कैसे आप हर कलाकार के जन्मदिन को न केवल याद रखते थे बल्कि हमें भी अपनी यादो की पुरानी तस्वीरो से रूबरू करवाते थे , कितने ही ऐसे किस्से जो आपने बताएं अब ख्वाब से लगते हैं .

न भूलेंगे कभी हर 15 -20 दिन में आपका अपनी आवाज़ में एक गीत व्हाट्सअप पर भेजना .

कैसे समझाए मन को , गम अब कभी न मिल पाने का !
दिल को अभी भी यकीन नहीं हुआ हैं , यूं तेरे चले जाने का !!



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